.. हिंदी भजन ..

राम भजन

श्री रामचन्द्र कृपालु श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् . नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् .. १.. कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् . पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् .. २.. भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् . रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् .. ३.. सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् . आजानुभुज सर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम् .. ४.. इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् . मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् .. ५..

ठुमक चलत रामचंद्र ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां .. किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय . धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां .. अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि . तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां .. विद्रुम से अरुण अधर बोलत मुख मधुर मधुर . सुभग नासिका में चारु लटकत लटकनियां .. तुलसीदास अति आनंद देख के मुखारविंद . रघुवर छबि के समान रघुवर छबि बनियां ..

भज मन राम चरण भज मन राम चरण सुखदाई .. जिन चरनन से निकलीं सुरसरि शंकर जटा समायी . जटा शन्करी नाम पड़्यो है त्रिभुवन तारन आयी .. शिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक शेष सहस मुख गायी . तुलसीदास मारुतसुत की प्रभु निज मुख करत बढ़ाई ..

जानकी नाथ सहाय करें जानकी नाथ सहाय करें जब कौन बिगाड़ करे नर तेरो .. सुरज मंगल सोम भृगु सुत बुध और गुरु वरदायक तेरो . राहु केतु की नाहिं गम्यता संग शनीचर होत हुचेरो .. दुष्ट दु:शासन विमल द्रौपदी चीर उतार कुमंतर प्रेरो . ताकी सहाय करी करुणानिधि बढ़ गये चीर के भार घनेरो .. जाकी सहाय करी करुणानिधि ताके जगत में भाग बढ़े रो . रघुवंशी संतन सुखदायी तुलसीदास चरनन को चेरो ..

रघुकुल प्रगटे हैं रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर .. देस देस से टीको आयो रतन कनक मनि हीर . घर घर मंगल होत बधाई भै पुरवासिन भीर . आनंद मगन होइ सब डोलत कछु ना सौध शरीर . मागध बंदी सबै लुटावैं गौ गयंद हय चीर . देत असीस सूर चिर जीवौ रामचन्द्र रणधीर .

बधैया बाजे बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे .. राम लखन शत्रुघन भरत जी झूलें कंचन पालने में . बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे .. राजा दसरथ रतन लुटावै लाजे ना कोउ माँगने में . बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे .. प्रेम मुदित मन तीनों रानी सगुन मनावैं मन ही मन में . बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे .. राम जनम को कौतुक देखत बीती रजनी जागने में बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ..

पायो जी मैंने पायो जी मैंने राम रतन धन पायो .. वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु किरपा करि अपनायो . जनम जनम की पूंजी पाई जग में सभी खोवायो . खरचै न खूटै चोर न लूटै दिन दिन बढ़त सवायो . सत की नाव खेवटिया सतगुरु भवसागर तर आयो . मीरा के प्रभु गिरिधर नागर हरष हरष जस गायो .

पायो निधि राम नाम पायो निधि राम नाम पायो निधि राम नाम . सकल शांति सुख निधान सकल शांति सुख निधान . पायो निधि राम नाम .. सुमिरन से पीर हरै काम क्रोध मोह जरै . आनंद रस अजर झरै होवै मन पूर्ण काम . पायो निधि राम नाम .. रोम रोम बसत राम जन जन में लखत राम . सर्व व्याप्त ब्रह्म राम सर्व शक्तिमान राम . पायो निधि राम नाम .. ज्ञान ध्यान भजन राम पाप ताप हरण नाम . सुविचारित तथ्य एक आदि मध्य अंत राम .. पायो निधि राम नाम .. पाया पाया पाया मैने राम रतन धन पाया .. राम रतन धन पाया मैने राम रतन धन पाया ..

मन लाग्यो मेरो यार मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में .. जो सुख पाऊँ राम भजन में सो सुख नाहिं अमीरी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में .. भला बुरा सब का सुन लीजै कर गुजरान गरीबी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में .. आखिर यह तन छार मिलेगा कहाँ फिरत मग़रूरी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में .. प्रेम नगर में रहनी हमारी साहिब मिले सबूरी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में .. कहत कबीर सुनो भयी साधो साहिब मिले सबूरी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ..

पढ़ो पोथी में पढ़ो पोथी में राम लिखो तख्ती पे राम . देखो खम्बे में राम हरे राम राम राम .. राम राम राम राम राम ॐ . ( २) राम राम राम राम राम राम . ( २) राम राम राम राम हरे राम राम राम .. देखो आंखों से राम सुनो कानों से राम . बोलो जिव्हा से राम हरे राम राम राम .. राम राम पियो पानी में राम जीमो खाने में राम . चलो घूमने में राम हरे राम राम राम .. राम राम बाल्यावस्था में राम युवावस्था में राम . वृद्धावस्था में राम हरे राम राम राम .. राम राम जपो जागृत में राम देखो सपनों में राम . पाओ सुषुप्ति में राम हरे राम राम राम .. राम राम

सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम सीताराम कहिये . जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये .. मुख में हो राम नाम राम सेवा हाथ में . तू अकेला नाहिं प्यारे राम तेरे साथ में . विधि का विधान जान हानि लाभ सहिये . किया अभिमान तो फिर मान नहीं पायेगा . होगा प्यारे वही जो श्री रामजी को भायेगा . फल आशा त्याग शुभ कर्म करते रहिये . ज़िन्दगी की डोर सौंप हाथ दीनानाथ के . महलों मे राखे चाहे झोंपड़ी मे वास दे . धन्यवाद निर्विवाद राम राम कहिये . आशा एक रामजी से दूजी आशा छोड़ दे . नाता एक रामजी से दूजे नाते तोड़ दे . साधु संग राम रंग अंग अंग रंगिये . काम रस त्याग प्यारे राम रस पगिये . सीता राम सीता राम सीताराम कहिये . जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये ..

हारिये न हिम्मत हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम . तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम .. दीपक ले के हाथ में सतगुरु राह दिखाये . पर मन मूरख बावरा आप अँधेरे जाए .. पाप पुण्य और भले बुरे की वो ही करता तोल . ये सौदे नहीं जगत हाट के तू क्या जाने मोल .. जैसा जिस का काम पाता वैसे दाम . तू क्यों सोचे बंदे सब की सोचे राम ..

प्रेम मुदित मन से कहो प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम . राम राम राम श्री राम राम राम .. पाप कटें दुःख मिटें लेत राम नाम . भव समुद्र सुखद नाव एक राम नाम .. परम शांति सुख निधान नित्य राम नाम . निराधार को आधार एक राम नाम .. संत हृदय सदा बसत एक राम नाम . परम गोप्य परम इष्ट मंत्र राम नाम .. महादेव सतत जपत दिव्य राम नाम . राम राम राम श्री राम राम राम .. मात पिता बंधु सखा सब ही राम नाम . भक्त जनन जीवन धन एक राम नाम ..

राम से बड़ा राम से बड़ा राम का नाम . अंत में निकला ये परिणाम ये परिणाम . सिमरिये नाम रूप बिन देखे कौड़ी लगे न दाम . नाम के बाँधे खिंचे आयेंगे आखिर एक दिन राम .. जिस सागर को बिना सेतु के लाँघ सके ना राम . कूद गये हनुमान उसीको ले कर राम का नाम .. वो दिलवाले क्या पायेंगे जिन में नहीं है नाम . वो पत्थर भी तैरेंगे जिन पर लिखा हुआ श्री राम ..

मेरा राम मेरा राम सब दुखियों का सहारा है .. जो भी उसको टेर बुलाता उसके पास वो दौड़ के आता . कह दे कोई वो नहीं आया यदि सच्चे दिल से पुकारा है .. जो कोई परदेस में रहता उसकी भी वो रक्षा करता . हर प्राणी है उसको प्यारा अपना बस यही नारा है ..

बोले बोले रे राम बोले बोले रे राम चिरैया रे . बोले रे राम चिरैया .. मेरे साँसों के पिंजरे में घड़ी घड़ी बोले घड़ी घड़ी बोले .. बोले बोले रे राम चिरैया रे . बोले रे राम चिरैया .. ना कोई खिड़की ना कोई डोरी ना कोई चोर करे जो चोरी ऐसा मेरा है राम रमैया रे .. बोले बोले रे राम चिरैया रे . बोले रे राम चिरैया .. उसी की नैया वही खिवैया बह रही उस की लहरैया चाहे लाख चले पुरवैया रे .. बोले बोले रे राम चिरैया रे . बोले रे राम चिरैया ..

राम करे सो होय राम झरोखे बैठ के सब का मुजरा लेत . जैसी जाकी चाकरी वैसा वाको देत .. राम करे सो होय रे मनवा राम करे सो होये .. कोमल मन काहे को दुखाये काहे भरे तोरे नैना . जैसी जाकी करनी होगी वैसा पड़ेगा भरना . काहे धीरज खोये रे मनवा काहे धीरज खोये .. पतित पावन नाम है वाको रख मन में विश्वास . कर्म किये जा अपना रे बंदे छोड़ दे फल की आस . राह दिखाऊँ तोहे रे मनवा राह दिखाऊँ तोहे ..

राम राम रट रे राम राम राम राम राम राम रट रे .. भव के फंद करम बंध पल में जाये कट रे .. कुछ न संग ले के आये कुछ न संग जाना . दूर का सफ़र है सिर पे बोझ क्यों बढ़ाना . मत भटक इधर उधर तू इक जगह सिमट रे .. राम राम राम राम राम राम रट रे .. राम को बिसार के फिरे है मारा मारा . तेरे हाथ नाव राम पास है किनारा . राम की शरण में जा चरण से जा लिपट रे .. राम राम राम राम राम राम रट रे ..

राम नाम रस पीजे राम नाम रस पीजे मनुवाँ राम नाम रस पीजै . तज कुसंग सत्संग बैठ नित हरि चर्चा सुन लीजै .. काम क्रोध मद लोभ मोह को बहा चित्त से दीजै . मीरा के प्रभु गिरिधर नागर ताहिके रंग में भीजै ..

मेरे मन में हैं मेरे मन में हैं राम मेरे तन में है राम . मेरे नैनों की नगरिया में राम ही राम .. मेरे रोम रोम के हैं राम ही रमैया . सांसो के स्वामी मेरी नैया के खिवैया . गुन गुन में है राम झुन झुन में है राम . मेरे मन की अटरिया में राम ही राम .. जनम जनम का जिनसे है नाता मन जिनके पल छिन गुण गाता . सुमिरन में है राम दर्शन में है राम मेरे मन की मुरलिया में राम ही राम .. जहाँ भी देखूँ तहाँ रामजी की माया सबही के साथ श्री रामजी की छाया . त्रिभुवन में हैं राम हर कण में है राम सारे जग की डगरिया में राम ही राम ..

हे रोम रोम में हे रोम रोम में बसने वाले राम . जगत के स्वामी हे अंतर्यामी . मैं तुझसे क्या माँगू .. भेद तेरा कोई क्या पहचाने . जो तुझसा हो वो तुझे जाने . तेरे किये को हम क्या देवे . भले बुरे का नाम ..

राम सुमिर राम सुमिर राम सुमिर राम सुमिर यही तेरो काज है .. मायाको संग त्याग हरिजू की शरण राग . जगत सुख मान मिथ्या झूठो सब साज है .. १.. सपने जो धन पछान काहे पर करत मान . बारू की भीत तैसे बसुधा को राज है .. २.. नानक जन कहत बात बिनसि जैहै तेरो दास . छिन छिन करि गयो काल तैसे जात आज है .. ३..

तेरा रामजी करेंगे तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार उदासी मन काहे को करे .. नैया तेरी राम हवाले लहर लहर हरि आप सम्हाले हरि आप ही उठायें तेरा भार उदासी मन काहे को करे .. काबू में मंझधार उसी के हाथों में पतवार उसी के तेरी हार भी नहीं है तेरी हार उदासी मन काहे को करे .. सहज किनारा मिल जायेगा परम सहारा मिल जायेगा डोरी सौंप के तो देख एक बार उदासी मन काहे को करे .. तू निर्दोष तुझे क्या डर है पग पग पर साथी ईश्वर है . सच्ची भावना से कर ले पुकार उदासी मन काहे को करे ..

From Ram Charit Manas भये प्रगट कृपाला From baalakaa.nD भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी . हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी .. लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी . भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी .. कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता . माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता .. करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता . सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता .. ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै . मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै .. उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै . कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै .. माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा . कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा .. सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा . यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते न परहिं भवकूपा .. बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार . निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार ..

नमामि भक्त वत्सलं From araNyakaa.nD stuti by atri muni नमामि भक्त वत्सलं . कृपालु शील कोमलं .. भजामि ते पदांबुजं . अकामिनां स्वधामदं .. निकाम श्याम सुंदरं . भवाम्बुनाथ मंदरं .. प्रफुल्ल कंज लोचनं . मदादि दोष मोचनं .. प्रलंब बाहु विक्रमं . प्रभोऽप्रमेय वैभवं .. निषंग चाप सायकं . धरं त्रिलोक नायकं .. दिनेश वंश मंडनं . महेश चाप खंडनं .. मुनींद्र संत रंजनं . सुरारि वृन्द भंजनं .. मनोज वैरि वंदितं . अजादि देव सेवितं .. विशुद्ध बोध विग्रहं . समस्त दूषणापहं .. नमामि इंदिरा पतिं . सुखाकरं सतां गतिं .. भजे सशक्ति सानुजं . शची पति प्रियानुजं .. त्वदंघ्रि मूल ये नराः . भजंति हीन मत्सराः .. पतंति नो भवार्णवे . वितर्क वीचि संकुले .. विविक्त वासिनः सदा . भजंति मुक्तये मुदा .. निरस्य इंद्रियादिकं . प्रयांति ते गतिं स्वकं .. तमेकमद्भुतं प्रभुं . निरीहमीश्वरं विभुं .. जगद्गुरुं च शाश्वतं . तुरीयमेव केवलं .. भजामि भाव वल्लभं . कुयोगिनां सुदुर्लभं .. स्वभक्त कल्प पादपं . समं सुसेव्यमन्वहं .. अनूप रूप भूपतिं . नतोऽहमुर्विजा पतिं .. प्रसीद मे नमामि ते . पदाब्ज भक्ति देहि मे .. पठंति ये स्तवं इदं . नरादरेण ते पदं .. व्रजंति नात्र संशयं . त्वदीय भक्ति संयुताः ..

श्याम तामरस दाम From araNyakaa.nD stuti by muni sutiixshhN - shishhya of agatsya R^ishhi कह मुनि प्रभु सुन बिनती मोरी . अस्तुति करौं कवन बिधि तोरी .. महिमा अमित मोरि मति थोरी . रबि सन्मुख खद्योत अंजोरी .. श्याम तामरस दाम शरीरं . जटा मुकुट परिधन मुनिचीरं .. पाणि चाप शर कटि तूणीरं . नौमि निरंतर श्री रघुवीरं .. मोह विपिन घन दहन कृशानुः . संत सरोरुह कानन भानुः .. निशिचर करि बरूथ मृगराजः . त्रातु सदा नो भव खग बाजः .. अरुण नयन राजीव सुवेशं . सीता नयन चकोर निशेशं . हर हृदि मानस बाल मरालं . नौमि राम उर बाहु विशालं .. संसय सर्प ग्रसन उरगादः . शमन सुकर्कश तर्क विषादः .. भव भंजन रंजन सुर यूथः . त्रातु नाथ नो कृपा वरूथः .. निर्गुण सगुण विषम सम रूपं . ज्ञान गिरा गोतीतमनूपं .. अमलमखिलमनवद्यमपारं . नौमि राम भंजन महि भारं .. भक्त कल्पपादप आरामः . तर्जन क्रोध लोभ मद कामः .. अति नागर भव सागर सेतुः . त्रातु सदा दिनकर कुल केतुः .. अतुलित भुज प्रताप बल धामः . कलि मल विपुल विभंजन नामः .. धर्म वर्म नर्मद गुण ग्रामः . संतत शं तनोतु मम रामः .. जदपि बिरज ब्यापक अबिनासी . सब के हृदयं निरंतर बासी .. तदपि अनुज श्री सहित खरारी . बसतु मनसि सम काननचारी .. जे जानहिं ते जानहुं स्वामी . सगुन अगुन उर अंतरजामी .. जो कोसलपति राजिव नयना . करौ सो राम हृदय मम अयना .. अस अभिमान जाइ जनि भोरे . मैं सेवक रघुपति पति मोरे .

जय राम रमारमनं From uttarakaa.nD stuti after raama's raajyaabhishheka जय राम रमारमनं शमनं . भव ताप भयाकुल पाहि जनं .. अवधेस सुरेस रमेस विभो . शरनागत मांगत पाहि प्रभो .. दससीस विनासन बीस भुजा . कृत दूरि महा महि भूरि रुजा .. रजनीचर बृंद पतंग रहे . सर पावक तेज प्रचंड दहे .. महि मंडल मंडन चारुतरं . धृत सायक चाप निषंग बरं .. मद मोह महा ममता रजनी . तम पुंज दिवाकर तेज अनी .. मनजात किरात निपात किये . मृग लोग कुभोग सरेन हिये .. हति नाथ अनाथनि पाहि हरे . विषया बन पांवर भूलि परे .. बहु रोग बियोगिन्हि लोग हये . भवदंघ्रि निरादर के फल ए .. भव सिंधु अगाध परे नर ते . पद पंकज प्रेम न जे करते .. अति दीन मलीन दुःखी नितहीं . जिन्ह कें पद पंकज प्रीत नहीं .. अवलंब भवंत कथा जिन्ह कें . प्रिय संत अनंत सदा तिन्ह कें .. नहिं राग न लोभ न मान मदा . तिन्ह कें सम बैभव वा बिपदा .. एहि ते तव सेवक होत मुदा . मुनि त्यागत जोग भरोस सदा .. करि प्रेम निरंतर नेम लियें . पद पंकज सेवत शुद्ध हियें .. सम मानि निरादर आदरही . सब संत सुखी बिचरंति मही .. मुनि मानस पंकज भृंग भजे . रघुवीर महा रनधीर अजे .. तव नाम जपामि नमामि हरी . भव रोग महागद मान अरी .. गुन सील कृपा परमायतनं . प्रनमामि निरंतर श्रीरमनं .. रघुनंद निकंदय द्वंद्व घनं . महिपाल बिलोकय दीन जनं .. बार बार बर मागौं हरषि देहु श्रीरंग . पद सरोज अनपायानी भगति सदा सतसंग ..

Ram Dhun From Amrit Vani By Swami Satyanandjii Maharaj सर्व शक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नमः .. बोलो राम बोलो राम बोलो राम राम राम . श्री राम श्री राम श्री राम राम राम . जय जय राम जय जय राम जय जय राम राम राम . जय राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम जय जय राम .. पतित पावन नाम भज ले राम राम राम . भज ले राम राम राम भज ले राम राम राम .. अशरण शरण शांति के धाम मुझे भरोसा तेरा राम . मुझे भरोसा तेरा राम मुझे सहारा तेरा राम .. रामाय नमः श्री रामाय नमः . रामाय नमः श्री रामाय नमः .. अहं भजामि रामं सत्यं शिवं मंगलं . सत्यं शिवं मंगलं सत्यं शिवं मंगलं .. वृद्धि आस्तिक भाव की शुभ मंगल संचार . अभ्युदय सद्धर्म का राम नाम विस्तार .. ( २)

पावन तेरा नाम है From Bhakti Prakash By Swami Satyanandjii Maharaj पावन तेरा नाम है पावन तेरा धाम . अतिशय पावन रूप तू पावन तेरा काम .. मुझे भरोसा राम का रहे सदा सब काल . दीन बंधु वह देव है हितकर दीनदयाल .. मुझे भरोसा राम तू दे अपना अनमोल . रहूँ मस्त निश्चिन्त मैं कभी न जाऊं डोल .. जो देवे सब जगत को अन्न दान शुभ प्राण . वही दाता मेरा हरि सुख का करे विधान .. मुझे भरोसा परम है राम राम श्री राम . मेरी जीवन ज्योति है वही मेरा विश्राम .. गूँजे मधुमय नाम की ध्वनि नाभि के धाम . हृदय मस्तक कमल में राम राम श्री राम ..

अपना करि के राखिहैं अपना करि के राखिहैं शरण गहे की लाज . शरण गहे की राम ने कबहुँ न छोड़ी बाँह ..

प्रेम के पुंज दया के धाम प्रेम के पुंज दया के धाम मुझे भरोसा तेरा राम . मुझे भरोसा तेरा राम मुझे सहारा तेरा राम ..

तन है तेरा मन है तेरा तन है तेरा मन है तेरा प्राण हैं तेरे जीवन तेरा . सब हैं तेरे सब है तेरा मैं हूं तेरा तू है मेरा ..

राम अपनी कृपा से राम अपनी कृपा से मुझे भक्ति दे . राम अपनी कृपा से मुझे शक्ति दे .. नाम जपता रहूँ काम करता रहूँ . तन से सेवा करूँ मन से संयम कर्रूँ .. नाम जपता रहूँ काम करता रहूँ . श्री राम जय राम जय जय राम .. राम जपो राम देखो राम जपो राम देखो राम के भरोसे रहो . राम काज करते रहो राम के भरोसे रहो .. राम जपो राम देखो राम के भरोसे रहो . राम काज करते रहो राम को रिझाते रहो ..

आराध्य श्रीराम आराध्य श्रीराम त्रिकुटी में . प्रियतम सीताराम हृदय में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम रोम रोम में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम जन जन में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम कण कण में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम राम मुख में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम राम मन में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम स्वांस स्वांस में .. श्री राम जय राम जय जय राम . राम राम राम राम राम राम राम .. राम राम राम राम राम राम राम . राम राम राम राम राम राम राम ..

पाया पाया पाया पाया पाया पाया मैने राम रतन धन पाया . राम रतन धन पाया मैंने राम रतन धन पाया ..

kR^ishhNa Bhajan जागो बंसीवारे ललना जागो बंसीवारे ललना जागो मोरे प्यारे .. रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवाड़े . गोपी दही मथत सुनियत है कंगना की झनकारे .. उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाड़े द्वारे . ग्वालबाल सब करत कोलाहल जय जय शब्द उचारे .. माखन रोटी हाथ में लीजे गौअन के रखवारे . मीरा के प्रभु गिरिधर नागर शरण आया को तारे ..

नंद बाबाजी को छैया नंद बाबाजी को छैया वाको नाम है कन्हैया . कन्हैया कन्हैया रे .. बड़ो गेंद को खिलैया आयो आयो रे कन्हैया . कन्हैया कन्हैया रे .. काहे की गेंद है काहे का बल्ला गेंद मे काहे का लागा है छल्ला कौन ग्वाल ये खेलन आये खेलें ता ता थैया ओ भैया . कन्हैया कन्हैया रे .. रेशम की गेंद है चंदन का बल्ला गेंद में मोतियां लागे हैं छल्ला सुघड़ मनसुखा खेलन आये बृज बालन के भैया कन्हैया . कन्हैया कन्हैया रे .. नीली यमुना है नीला गगन है नीले कन्हैया नीला कदम्ब है सुघड़ श्याम के सुघड़ खेल में नीले खेल खिलैया ओ भैया . कन्हैया कन्हैया रे ..

बनवारी रे बनवारी रे जीने का सहारा तेरा नाम रे मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे झूठी दुनिया झूठे बंधन, झूठी है ये माया झूठा साँस का आना जाना, झूठी है ये काया ओ, यहाँ साँचा तेरा नाम रे बनवारी रे ... रंग में तेरे रंग गये गिरिधर, छोड़ दिया जग सारा बन गये तेरे प्रेम के जोगी, ले के मन एकतारा ओ, मुझे प्यारा तेरा धाम रे बनवारी रे ... दर्शन तेरा जिस दिन पाऊँ, हर चिन्ता मिट जाये जीवन मेरा इन चरणों में, आस की ज्योत जगाये ओ, मेरी बाँहें पकड़ लो श्याम रे बनवारी रे ...

जय कृष्ण हरे जय कृष्ण हरे श्री कृष्ण हरे . दुखियों के दुख दूर करे जय जय जय कृष्ण हरे .. जब चारों तरफ़ अंधियारा हो आशा का दूर किनारा हो . जब कोई ना खेवन हारा हो तब तू ही बेड़ा पार करे . तू ही बेड़ा पार करे जय जय जय कृष्ण हरे .. तू चाहे तो सब कुछ कर दे विष को भी अमृत कर दे . पूरण कर दे उसकी आशा जो भी तेरा ध्यान धरे . जो भी तेरा ध्यान धरे जय जय जय कृष्ण हरे ..

प्रबल प्रेम के पाले प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा . अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा .. जिसकी केवल कृपा दृष्टि से सकल विश्व को पलते देखा . उसको गोकुल में माखन पर सौ सौ बार मचलते देखा .. जिस्के चरण कमल कमला के करतल से न निकलते देखा . उसको ब्रज की कुंज गलिन में कंटक पथ पर चलते देखा .. जिसका ध्यान विरंचि शंभु सनकादिक से न सम्भलते देखा . उसको ग्वाल सखा मंडल में लेकर गेंद उछलते देखा .. जिसकी वक्र भृकुटि के डर से सागर सप्त उछलते देखा . उसको माँ यशोदा के भय से अश्रु बिंदु दृग ढ़लते देखा ..

ॐ जय श्री राधा ॐ जय श्री राधा जय श्री कृष्ण श्री राधा कृष्णाय नमः .. घूम घुमारो घामर सोहे जय श्री राधा पट पीताम्बर मुनि मन मोहे जय श्री कृष्ण . जुगल प्रेम रस झम झम झमकै श्री राधा कृष्णाय नमः .. राधा राधा कृष्ण कन्हैया जय श्री राधा भव भय सागर पार लगैया जय श्री कृष्ण . मंगल मूरति मोक्ष करैया श्री राधा कृष्णाय नमः ..

आओ आओ यशोदा के लाल आओ आओ यशोदा के लाल . आज मोहे दरशन से कर दो निहाल . आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल .. नैया हमारी भंवर मे फंसी . कब से अड़ी उबारो हरि . कहते हैं दीनों के तुम हो दयाल .( २) आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल .. अबतो सुनलो पुकार मेरे जीवन आधार . भवसागर है अति विशाल . लाखों को तारा है तुमने गोपाल .( २) आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल .. यमुना के तट पर गौवें चराकर . छीन लिया मेरा मन मुरली बजाकर . हृदय हमारे बसो नन्दलाल . ( २) आओ आओ आओ आओ यशोदा के लाल ..

कन्हैया कन्हैया कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा आना पड़ेगा . वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा .. गोकुल में आया मथुरा में आ छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा . अरे सांवरे देख आ के ज़रा सूनी सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका .. जमुना के पानी में हलचल नहीं . मधुबन में पहला सा जलथल नहीं . वही कुंज गलियाँ वही गोपिआँ . छनकती मगर कोई झान्झर नहीं .

आओ कृष्ण कन्हैया आओ कृष्ण कन्हैया हमारे घर आओ . माखन मिश्री दूध मलाई जो चाहो सो खाओ ..

करुणा भरी पुकार सुन करुणा भरी पुकार सुन अब तो पधारो मोहना .. कृष्ण तुम्हारे द्वार पर आया हूँ मैं अति दीन हूँ . करुणा भरी निगाह से अब तो पधारो मोहना .. कानन कुण्डल शीश मुकुट गले बैजंती माल हो . सांवरी सूरत मोहिनी अब तो दिखा दो मोहना .. पापी हूँ अभागी हूँ दरस का भिखारी हूँ . भवसागर से पार कर अब तो उबारो मोहना ..

दर्शन दो घन्श्याम दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे .. मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी . युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे .. दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे .. द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले . अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे .. दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे .. पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ . आँख मिचौली छोड़ो अब तो घट घट वासी रे .. दर्शन दो घन्श्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..

तू ही बन जा तू ही बन जा मेरा मांझी पार लगा दे मेरी नैया . हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया .. इस जीवन के सागर में हर क्षन लगता है डर मुझ्को . क्या भला है क्या बुरा है तू ही बता दे मुझ्को . हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया .. क्या तेरा और क्या मेरा है सब कुछ तो बस सपना है . इस जीवन के मोहजाल में सबने सोचा अपना है . हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया ..

राम कृष्ण हरि राम कृष्ण हरि मुकुंद मुरारि . पांडुरंग पांडुरंग राम कृष्ण हरि .. विट्ठल विट्ठल पांडुरंग राम कृष्ण हरि . पांडुरंग पांडुरंग राम कृष्ण हरि ..

मुकुन्द माधव गोविन्द मुकुन्द माधव गोविन्द बोल केशव माधव हरि हरि बोल .. हरि हरि बोल हरि हरि बोल . कृष्ण कृष्ण बोल कृष्ण कृष्ण बोल .. राम राम बोल राम राम बोल . शिव शिव बोल शिव शिव बोल . भज मन गोविंद गोविंद भज मन गोविंद गोविंद गोपाला ..

Hari Bhajan जो भजे हरि को सदा जो भजे हरि को सदा सो परम पद पायेगा .. देह के माला तिलक और भस्म नहिं कुछ काम के . प्रेम भक्ति के बिना नहिं नाथ के मन भायेगा .. दिल के दर्पण को सफ़ा कर दूर कर अभिमान को . खाक हो गुरु के चरण की तो प्रभु मिल जायेगा .. छोड़ दुनिया के मज़े और बैठ कर एकांत में . ध्यान धर हरि के चरण का फिर जनम नहीं पायेगा .. दृढ़ भरोसा मन में रख कर जो भजे हरि नाम को . कहत ब्रह्मानंद ब्रह्मानंद में ही समायेगा ..

हरि तुम बहुत हरि तुम बहुत अनुग्रह कीन्हो . साधन धाम विविध दुर्लभ तनु मोहे कृपा कर दीन्हो .. कोटिन्ह मुख कहि जात न प्रभु के एक एक उपकार . तदपि नाथ कछु और मांगिहे दीजो परम उदार ..

हरि नाम सुमिर हरि नाम सुमिर हरि नाम सुमिर हरि नाम सुमिर सुख धाम जगत में जीवन दो दिन का . जगत में जीवन दो दिन का .. सुंदर काया देख लुभाया लाड़ करे तन का . छूटा साँस विगत भयी देही ज्यों माला मनका .. पाप कपट कर माया जोड़ी गर्व करे धन का . सभी छोड़ कर चला मुसाफिर वास हुआ वन का .. ब्रह्मानन्द भजन कर बंदे नाथ निरंजन का . जगत में जीवन दो दिन का ..

जो घट अंतर जो घट अंतर हरि सुमिरै . ताको काल रूठि का करिहै जे चित चरन धरे .. सहस बरस गज युद्ध करत भयै छिन एक ध्यान धरै . चक्र धरै वैकुण्ठ से धायै बाकी पैंज सरै .. जहँ जहँ दुसह कष्ट भगतन पर तहं तहँ सार करै . सूरजदास श्याम सेवै ते दुष्तर पार करै ..

हरि हरि हरि हरि सुमिरन हरि हरि हरि हरि सुमिरन करो हरि चरणारविन्द उर धरो .. हरि की कथा होये जब जहाँ गंगा हू चलि आवे तहां .. यमुना सिंधु सरस्वती आवे गोदावरी विलम्ब न लावे .. सर्व तीर्थ को वासा तहाँ सूर हरि कथा होवे जहां ..

नारायण जिनके हिरदय नारायण जिनके हिरदय में सो कछु करम करे न करे रे .. पारस मणि जिनके घर माहीं सो धन संचि धरे न धरे . सूरज को परकाश भयो जब दीपक जोत जले न जले रे .. नाव मिली जिनको जल अंदर बाहु से नीर तरे न तरे रे . ब्रह्मानंद जाहि घट अंतर काशी में जाये मरे न मरे रे ..

भजो रे भैय भजो रे भैया राम गोविंद हरी . राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी .. जप तप साधन नहिं कछु लागत खरचत नहिं गठरी ..

हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ मेरा बोले रोम रोम . हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ ..

Ambe Bhajan नमामि अम्बे दीन वत्सले नमामि अम्बे दीन वत्सले तुम्हे बिठाऊँ हृदय सिंहासन . तुम्हे पहनाऊँ भक्ति पादुका नमामि अम्बे भवानि अम्बे .. श्रद्धा के तुम्हे फूल चढ़ाऊँ श्वासों की जयमाल पहनाऊँ . दया करो अम्बिके भवानी नमामि अम्बे बसो हृदय में हे कल्याणी सर्व मंगल मांगल्य भवानी . दया करो अम्बिके भवानी नमामि अम्बे

जय अम्बे जय जय दुर्गे जय अम्बे जय जय दुर्गे दयामयी कल्याण करो .. आ जाओ माँ आ जाओ आ कर दरस दिखा जाओ . जय अम्बे कब से द्वार तिहारे ठाड़े मैया मेरी मुझ पर कृपा करो . जय अम्बे तेरे दरस के प्यासे नैना दरस हमें दिखला जाओ . जय अम्बे

Vividh Bhajan बीत गये दिन बीत गये दिन भजन बिना रे . भजन बिना रे, भजन बिना रे .. बाल अवस्था खेल गवांयो . जब यौवन तब मान घना रे .. लाहे कारण मूल गवा.यो . अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे .. कहत कबीर सुनो भई साधो . पार उतर गये संत जना रे ..

जब से लगन लगी प्रभु तेरी जब से लगन लगी प्रभु तेरी सब कुछ मैं तो भूल गयी हूँ .. बिसर गयी क्या था मेरा बिसर गयी अब क्या है मेरा . अब तो लगन लगी प्रभु तेरी तू ही जाने क्या होगा .. जब मैं प्रभु में खो जाती हूं मेघ प्रेम के घिर आते हैं . मेरे मन मंदिर मे प्रभु के चारों धाम समा जाते हैं .. बार बार तू कहता मुझसे जग की सेवा कर तू मन से . इसी में मैं हूं सभी में मैं हूं तू देखे तो सब कुछ मैं हूं ..

भगवान मेरी नैया भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना . अब तक तो निभाया है आगे भी निभा देना .. सम्भव है झंझटों में मैं तुम को भूल जाऊँ . पर नाथ कहीं तुम भी मुझको न भुला देना .. तुम देव मैं पुजारी तुम ईश मैं उपासक . यह बात सच है तो फिर सच कर के दिखा देना ..

शरण में आये हैं शरण में आये हैं हम तुम्हारी दया करो हे दयालु भगवन . सम्हालो बिगड़ी दशा हमारी दया करो हे दयालु भगवन .. न हम में बल है न हम में शक्ति न हम में साधन न हम में भक्ति . तभी कहाओगे ताप हारी दया करो हे दयालु भगवन .. जो तुम पिता हो तो हम हैं बालक जो तुम हो स्वामी तो हम हैं सेवक . जो तुम हो ठाकुर तो हम पुजारी दया करो हे दयालु भगवन .. प्रदान कर दो महान शक्ति भरो हमारे में ज्ञान भक्ति . तुम्हारे दर के हैं हम भिखारी दया करो हे दयालु भगवन ..

रे मन प्रभु से रे मन प्रभु से प्रीत करो . प्रभु की प्रेम भक्ति श्रद्धा से अपना आप भरो .. ऐसी प्रीत करो तुम प्रभु से प्रभु तुम माहिं समाये . बने आरती पूजा जीवन रसना हरि गुण गाये . राम नाम आधार लिये तुम इस जग में विचरो ..

सुर की गति मैं सुर की गति मैं क्या जानूँ . एक भजन करना जानूँ .. अर्थ भजन का भी अति गहरा उस को भी मैं क्या जानूँ .. प्रभु प्रभु प्रभु कहना जानूँ नैना जल भरना जानूँ .. गुण गाये प्रभु न्याय न छोड़े फिर तुम क्यों गुण गाते हो मैं बोला मैं प्रेम दीवाना इतनी बातें क्या जानूँ .. प्रभु प्रभु प्रभु कहना जानूँ नैना जल भरना जानूँ .. फुल्वारी के फूल फूल के किस्के गुन नित गाते हैं . जब पूछा क्या कुछ पाते हो बोल उठे मैं क्या जानूँ .. प्रभु प्रभु प्रभु कहना जानूँ नैना जल भरना जानूँ ..

हर सांस में हर बोल में हर सांस में हर बोल में हरि नाम की झंकार है . हर नर मुझे भगवान है हर द्वार मंदिर द्वार है .. ये तन रतन जैसा नहीं मन पाप का भण्डार है . पंछी बसेरे सा लगे मुझको सकल संसार है .. हर डाल में हर पात में जिस नाम की झंकार है . उस नाथ के द्वारे तू जा होगा वहीं निस्तार है .. अपने पराये बन्धुओं का झूठ का व्यवहार है . मनके यहां बिखरे हुये प्रभु ने पिरोया तार है ..

प्रभु को बिसार प्रभु को बिसार किसकी आराधना करूं मैं . पा कल्पतरु किसीसे क्या याचना करूं मैं .. मोती मिला मुझे जब मानस के मानसर में . कंकड़ बटोरने की क्यों चाहना करूं मैं .. मुझको प्रकाश प्रतिपल आनंद आंतरिक है . जग के क्षणिक सुखों की क्या कामना करूं मैं ..

किसकी शरण में जाऊं किसकी शरण में जाऊं अशरण शरण तुम्हीं हो .. गज ग्राह से छुड़ाया प्रह्लाद को बचाया . द्रौपदी का पट बढ़ाया निर्बल के बल तुम्हीं हो .. अति दीन था सुदामा आया तुम्हारे धामा . धनपति उसे बनाया निर्धन के धन तुम्हीं हो .. तारा सदन कसाई अजामिल की गति बनाई . गणिका सुपुर पठाई पातक हरण तुम्हीं हो .. मुझको तो हे बिहारी आशा है बस तुम्हारी . काहे सुरति बिसारी मेरे तो एक तुम्हीं हो ..

पितु मातु सहायक स्वामी पितु मातु सहायक स्वामी सखा तुमही एक नाथ हमारे हो . जिनके कछु और आधार नहीं तिन्ह के तुमही रखवारे हो .. सब भांति सदा सुखदायक हो दुःख दुर्गुण नाशनहारे हो . प्रतिपाल करो सिगरे जग को अतिशय करुणा उर धारे हो .. भुलिहै हम ही तुमको तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो .. उपकारन को कछु अंत नही छिन ही छिन जो विस्तारे हो . महाराज! महा महिमा तुम्हरी समुझे बिरले बुधवारे हो . शुभ शांति निकेतन प्रेम निधे मनमंदिर के उजियारे हो .. यह जीवन के तुम्ह जीवन हो इन प्राणन के तुम प्यारे हो . तुम सों प्रभु पाइ प्रताप हरि केहि के अब और सहारे हो ..

तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो .. तुम्ही हो साथी तुम्ही सहारे कोई न अपना सिवा तुम्हारे . तुम्ही हो नैय्या तुम्ही खेवैय्या तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो .. जो कल खिलेंगे वो फूल हम हैं तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं . दया की दृष्टि सदा ही रखना तुम्ही हो बंधु सखा तुम्ही हो ..

तुम तजि और कौन पै जाऊं तुम तजि और कौन पै जाऊं . काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं .. ऐसो को दाता है समरथ जाके दिये अघाऊं . अंतकाल तुम्हरो सुमिरन गति अनत कहूं नहिं पाऊं .. रंक अयाची कियू सुदामा दियो अभय पद ठाऊं . कामधेनु चिंतामणि दीन्हो कलप वृक्ष तर छाऊं .. भवसमुद्र अति देख भयानक मन में अधिक डराऊं . कीजै कृपा सुमिरि अपनो पन सूरदास बलि जाऊं ..

रंगवाले देर क्या है रंगवाले देर क्या है मेरा चोला रंग दे . और सारे रंग धो कर रंग अपना रंग दे .. कितने ही रंगो से मैने आज तक है रंगा इसे . पर वो सारे फीके निकले तू ही गाढ़ा रंग दे .. तूने रंगे हैं ज़मीं और आसमां जिस रंग से . बस उसी रंग से तू आख़्हिर मेरा चोला रंग दे .. मैं तो जानूंगा तभी तेरी ये रंगन्दाज़ियां . जितना धोऊं उतना चमके अब तो ऐसा रंग दे ..

हे जगत्राता हे जगत्राता विश्वविधाता हे सुखशांतिनिकेतन हे . प्रेमके सिंधो दीनके बंधो दुःख दरिद्र विनाशन हे . नित्य अखंड अनंत अनादि पूर्ण ब्रह्मसनातन हे . जगाअश्रय जगपति जगवंदन अनुपम अलख निरंजन हे . प्राण सखा त्रिभुवन प्रतिपालक जीवन के अवलंबन हे .

दरशन दीजो आय प्यारे दरशन दीजो आय प्यारे तुम बिनो रह्यो ना जाय .. जल बिनु कमल चंद्र बिनु रजनी वैसे तुम देखे बिनु सजनी . आकुल व्याकुल फिरूं रैन दिन विरह कलेजो खाय .. दिवस न भूख नींद नहीं रैना मुख सों कहत न आवे बैना . कहा कहूँ कछु समुझि न आवे मिल कर तपत बुझाय .. क्यूं तरसाओ अंतरयामी आय मिलो किरपा करो स्वामी . मीरा दासी जनम जनम की पड़ी तुम्हारे पाय ..

नैया पड़ी मंझधार नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार .. साहिब तुम मत भूलियो लाख लो भूलग जाये . हम से तुमरे और हैं तुम सा हमरा नाहिं . अंतरयामी एक तुम आतम के आधार . जो तुम छोड़ो हाथ प्रभुजी कौन उतारे पार .. गुरु बिन कैसे लागे पार .. मैन अपराधी जन्म को मन में भरा विकार . तुम दाता दुख भंजन मेरी करो सम्हार . अवगुन दास कबीर के बहुत गरीब निवाज़ . जो मैं पूत कपूत हूं कहौं पिता की लाज .. गुरु बिन कैसे लागे पार ..

तूने रात गँवायी तूने रात गँवायी सोय के दिवस गँवाया खाय के . हीरा जनम अमोल था कौड़ी बदले जाय .. सुमिरन लगन लगाय के मुख से कछु ना बोल रे . बाहर का पट बंद कर ले अंतर का पट खोल रे . माला फेरत जुग हुआ गया ना मन का फेर रे . गया ना मन का फेर रे . हाथ का मनका छँड़ि दे मन का मनका फेर .. दुख में सुमिरन सब करें सुख में करे न कोय रे . जो सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे को होय रे . सुख में सुमिरन ना किया दुख में करता याद रे . दुख में करता याद रे . कहे कबीर उस दास की कौन सुने फ़रियाद ..

नैनहीन को राह दिखा नैन हीन को राह दिखा प्रभु . पग पग ठोकर खाऊँ मैं .. तुम्हरी नगरिया की कठिन डगरिया . चलत चलत गिर जाऊँ मैन .. चहूँ ओर मेरे घोओर अंधेरा . भूल न जाऊँ द्वार तेरा . एक बार प्रभु हाथ पकड़ लो . ( ३) मन का दीप जलाऊँ मैं ..

प्रभु हम पे कृपा प्रभु हम पे कृपा करना प्रभु हम पे दया करना . वैकुण्ठ तो यहीं है इसमें ही रहा करना .. हम मोर बन के मोहन नाचा करेंगे वन में . तुम श्याम घटा बनकर उस बन में उड़ा करना .. होकर के हम पपीहा पी पी रटा करेंगे . तुम स्वाति बूंद बनकर प्यासे पे दया करना .. हम राधेश्याम जग में तुमको ही निहारेंगे . तुम दिव्य ज्योति बन कर नैनों में बसा करना ..

तेरे दर को छोड़ के तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं . देख लिया जग सारा मैने तेरे जैसा मीत नहीं . तेरे जैसा प्रबल सहारा तेरे जैसी प्रीत नहीं . किन शब्दों में आपकी महिमा गाऊं मैं .. अपने पथ पर आप चलूं मैं मुझमे इतना ज्ञान नहीं . हूँ मति मंद नयन का अंधा भला बुरा पहचान नहीं . हाथ पकड़ कर ले चलो ठोकर खाऊं मैं ..

उद्धार करो भगवान उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े . भव पार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े .. कैसे तेरा नाम धियायें कैसे तुम्हरी लगन लगाये . हृदय जगा दो ज्ञान तुम्हरी शरण पड़े .. पंथ मतों की सुन सुन बातें द्वार तेरे तक पहुंच न पाते . भटके बीच जहान तुम्हरी शरण पड़े .. तू ही श्यामल कृष्ण मुरारी राम तू ही गणपति त्रिपुरारी . तुम्ही बने हनुमान तुम्हरी शरण पड़े .. ऐसी अन्तर ज्योति जगाना हम दीनों को शरण लगाना . हे प्रभु दया निधान तुम्हरी शरण पड़े ..

मैली चादर ओढ़ के मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ . हे पावन परमेश्वर मेरे मन ही मन शरमाऊं .. तूने मुझको जग में भेजा निर्मल देकर काया . आकर के संसार में मैंने इसको दाग लगाया . जनम जनम की मैली चादर कैसे दाग छुड़ाऊं .. निर्मल वाणी पाकर मैने नाम न तेरा गाया . नयन मूंद कर हे परमेश्वर कभी न तुझको ध्याया . मन वीणा की तारें टूटीं अब क्या गीत सुनाऊं .. इन पैरों से चल कर तेरे मन्दिर कभी न आया . जहां जहां हो पूजा तेरी कभी न शीश झुकाया . हे हरि हर मैं हार के आया अब क्या हार चढ़ाऊं ..

शंकर शिव शम्भु साधु शंकर शिव शम्भु साधु संतन हितकारी .. लोचन त्रय अति विशाल सोहे नव चन्द्र भाल . रुण्ड मुण्ड व्याल माल जटा गंग धारी .. पार्वती पति सुजान प्रमथराज वृषभयान . सुर नर मुनि सेव्यमान त्रिविध ताप हारी ..

Aaratii Giit जय गणेश जय गणेश जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा . माता जाकी पारवती पिता महादेवा .. एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी . पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा .. अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया . ' सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..

ओम जय जगदीश हरे ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे . भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे .. जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का . सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का .. मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी . तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी .. तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतयार्मी . पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी .. तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता . मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता .. तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति . किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति .. दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे . करुणा हस्त बढ़ाओ, द्वार पडा तेरे .. विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा . श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ..

ॐ जय लक्ष्मी माता ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता तुम को निस दिन सेवत, मैयाजी को निस दिन सेवत हर विष्णु विधाता . ॐ जय लक्ष्मी माता .. उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता ओ मैया तुम ही जग माता . सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॐ जय लक्ष्मी माता .. दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता ओ मैया सुख सम्पति दाता . जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता ॐ जय लक्ष्मी माता .. तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता ओ मैया तुम ही शुभ दाता . कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता ॐ जय लक्ष्मी माता .. जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता ओ मैया सब सद्गुण आता . सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता ॐ जय लक्ष्मी माता .. तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ओ मैया वस्त्र न कोई पाता . खान पान का वैभव, सब तुम से आता ॐ जय लक्ष्मी माता .. शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ओ मैया क्षीरोदधि जाता . रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॐ जय लक्ष्मी माता .. महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता ओ मैया जो कोई जन गाता . उर आनंद समाता, पाप उतर जाता ॐ जय लक्ष्मी माता ..

ॐ जय शिव ॐकारा ॐ जय शिव ॐकारा, स्वामी हर शिव ॐकारा . ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा .. जय शिव ॐकारा .. एकानन चतुरानन पंचानन राजे स्वामी पंचानन राजे . हंसासन गरुड़ासन वृष वाहन साजे .. जय शिव ॐकारा .. दो भुज चारु चतुर्भुज दस भुज से सोहे स्वामी दस भुज से सोहे . तीनों रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे .. जय शिव ॐकारा .. अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी स्वामि मुण्डमाला धारी . चंदन मृग मद सोहे भाले शशि धारी .. जय शिव ॐकारा .. श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगे स्वामी बाघाम्बर अंगे . सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे .. जय शिव ॐकारा .. कर में श्रेष्ठ कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता स्वामी चक्र त्रिशूल धरता . जगकर्ता जगहर्ता जग पालन कर्ता .. जय शिव ॐकारा .. ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका स्वामि जानत अविवेका . प्रणवाक्षर में शोभित यह तीनों एका . जय शिव ॐकारा .. निर्गुण शिव की आरती जो कोई नर गावे स्वामि जो कोई नर गावे . कहत शिवानंद स्वामि मन वाँछित फल पावे . जय शिव ॐकारा ..

आरती कुँज बिहारीकी आरती कुँज बिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की .. गले में वैजन्ती माला, माला बजावे मुरली मधुर बाला, बाला श्रवण में कुण्डल झल्काला, झलकाला नन्द के नन्द, श्री आनन्द कन्द, मोहन बॄज चन्द राधिका रमण बिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की .. गगन सम अंग कान्ति काली, काली राधिका चमक रही आली, आली लसन में टाड़े वनमाली, वनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चन्द्र सी झलक ललित छवि श्यामा प्यारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की .. जहाँ से प्रगट भयी गंगा, गंगा कलुष कलि हारिणि श्री गंगा, गंगा स्मरण से होत मोह भंगा, भंगा बसी शिव शीश, जटा के बीच, हरे अघ कीच चरण छवि श्री बनवारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की .. कनकमय मोर मुकुट बिलसै, बिलसै देवता दरसन को तरसै, तरसै गगन सों सुमन राशि बरसै, बरसै अजेमुरचन मधुर मृदंग मालिनि संग अतुल रति गोप कुमारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की .. चमकती उज्ज्वल तट रेणु, रेणु बह रही बृन्दावन वेणु, वेणु चहुँ दिसि गोपि काल धेनु, धेनु कसक मृद मंग, चाँदनि चन्द, खटक भव भन्ज टेर सुन दीन भिखारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

जय अम्बे गौरी जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी . बोलो जय अम्बे गौरी .. माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को मैया टिकोओ मृगमद को उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको बोलो जय अम्बे गौरी .. कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे मैया रक्ताम्बर साजे रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे बोलो जय अम्बे गौरी .. केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी मैया खड्ग कृपाण धारी सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी बोलो जय अम्बे गौरी .. कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती मैया नासाग्रे मोती कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति बोलो जय अम्बे गौरी .. शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती मैया महिषासुर धाती धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती बोलो जय अम्बे गौरी .. चण्ड मुण्डा शोणित बीज हरे मैया शोणित बीज हरे मधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करे बोलो जय अम्बे गौरी .. ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी मैया तुम कमला रानी आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी बोलो जय अम्बे गौरी .. चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों मैया नृत्य करत भैरों बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू बोलो जय अम्बे गौरी .. तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता मैया तुम ही हो भर्ता भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता बोलो जय अम्बे गौरी .. भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी मैया वर मुद्रा धारी मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी बोलो जय अम्बे गौरी .. कन्चन थाल विराजत अगर कपूर बाती मैया अगर कपूर बाती माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती बोलो जय अम्बे गौरी .. माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे मैया जो कोई नर गावे कहत शिवानन्द स्वामि सुख सम्पति पावे बोलो जय अम्बे गौरी ..

जय सन्तोषी माता जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता . अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता . मैया जय सन्तोषी माता . सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हो मैया माँ धारण कींहो हीरा पन्ना दमके तन शृंगार कीन्हो मैया जय सन्तोषी माता . गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे मैया बदन कमल सोहे मंद हँसत करुणामयि त्रिभुवन मन मोहे मैया जय सन्तोषी माता . स्वर्ण सिंहासन बैठी चँवर दुले प्यारे मैया चँवर दुले प्यारे धूप दीप मधु मेवा, भोज धरे न्यारे मैया जय सन्तोषी माता . गुड़ और चना परम प्रिय ता में संतोष कियो मैया तामें सन्तोष कियो संतोषी कहलाई भक्तन विभव दियो मैया जय सन्तोषी माता . शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सो ही, मैया आज दिवस सो ही भक्त मंडली चाई कथा सुनत मो ही मैया जय सन्तोषी माता . मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई मैया मंगल ध्वनि छाई बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई मैया जय सन्तोषी माता . भक्ति भाव्मय पूजा अंगीकृत कीजै मैया अंगीकृत कीजै जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै मैया जय सन्तोषी माता . दुखी दरिद्री रोगी संकट मुक्त किये मैया संकट मुक्त किये बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिये मैया जय सन्तोषी माता . ध्यान धरे जो तेरा वाँछित फल पायो मनवाँछित फल पायो पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो मैया जय सन्तोषी माता . चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे मैया रखियो जगदम्बे संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे मैया जय सन्तोषी माता . सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे मैया जो कोई जन गावे ऋद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे मैया जय सन्तोषी माता .

आरति कीजै हनुमान आरति कीजै हनुमान लला की . दुष्ट दलन रघुनाथ कला की .. जाके बल से गिरिवर काँपे रोग दोष जाके निकट न झाँके अंजनि पुत्र महा बलदायी संतन के प्रभु सदा सहायी .. आरति कीजै हनुमान लला की . दे बीड़ा रघुनाथ पठाये लंका जाय सिया सुधि लाये लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई जात पवनसुत बार न लाई .. आरति कीजै हनुमान लला की . लंका जारि असुर संघारे सिया रामजी के काज संवारे लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे आन संजीवन प्राण उबारे .. आरति कीजै हनुमान लला की . पैठि पाताल तोड़ि यम कारे अहिरावन की भुजा उखारे बाँये भुजा असुरदल मारे दाहिने भुजा संत जन तारे .. आरति कीजै हनुमान लला की . सु नर मुनि जन आरति उतारे जय जय जय हनुमान उचारे कंचन थार कपूर लौ छाई आरती करत अंजना माई .. आरति कीजै हनुमान लला की . जो हनुमान जी की आरति गावे बसि वैकुण्ठ परम पद पावे . आरति कीजै हनुमान लला की . दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ..

साईँ बाबा की आरति आरती उतारे हम तुम्हारी सैइँ बाबा . चरणों के तेरे हम पुजारी साईँ बाबा .. विद्या बल बुद्धि, बन्धु माता पिता हो तन मन धन प्राण, तुम ही सखा हो हे जगदाता अवतारे, साईँ बाबा . आरती उतारे हम तुम्हारी सैइँ बाबा .. ब्रह्म के सगुण अवतार तुम स्वामी ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी सुन लो विनती हमारी साईँ बाबा . आरती उतारे हम तुम्हारी सैइँ बाबा .. आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति शिरडी के संत चमत्कारी साईँ बाबा . आरती उतारे हम तुम्हारी सैइँ बाबा .. भक्तों की खातिर, जनम लिये तुम प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिये तुम दुखिया जनों के हितकारी साईँ बाबा . आरती उतारे हम तुम्हारी सैइँ बाबा ..

Bhajans from ISB 3.1 हमको मनकी शक्ति प्रार्थना हमको मनकी शक्ति देना, मन विजय करें . दूसरोंकी जयसे पहले, खुदकी जय करें . हमको मनकी शक्ति देना .. भेदभाव अपने दिलसे, साफ कर सकें . दूसरोंसे भूल हो तो, माफ कर सकें . झूठसे बचे रहें, सचका दम भरें . दूसरोंकी जयसे पहले, मुश्किलें पडें तो हमपे, इतना कर्म कर . साथ दें तो धर्मका, चलें तो धर्म पर . खुदपे हौसला रहे, सचका दम भरें . दूसरोंकी जयसे पहले,

गौरीनंदन गजानना गौरीनंदन गजानना हे दुःखभंजन गजानना . मूषक वाहन गजानना बुद्धीविनायक गजानना . विघ्नविनाशक गजानना शंकरपूत्र गजानना .

ऐ मालिक तेरे बंदे हम ऐ मालिक तेरे बंदे हम ऐसे हो हमारे करम नेकी पर चलें और बदी से टलें ताकि हंसते हुये निकले दम जब ज़ुलमों का हो सामना तब तू ही हमें थामना वो बुराई करें हम भलाई भरें नहीं बदले की हो कामना बढ़ उठे प्यार का हर कदम और मिटे बैर का ये भरम नेकी पर चलें ये अंधेरा घना छा रहा तेरा इनसान घबरा रहा हो रहा बेखबर कुछ न आता नज़र सुख का सूरज छिपा जा रहा है तेरी रोशनी में वो दम जो अमावस को कर दे पूनम नेकी पर चलें बड़ा कमज़ोर है आदमी अभी लाखों हैं इसमें कमीं पर तू जो खड़ा है दयालू बड़ा तेरी कृपा से धरती थमी दिया तूने हमें जब जनम तू ही झेलेगा हम सबके ग़म नेकी पर चलें

ज्योत से ज्योत जगाते ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो राह में आए जो दीन दुखी सबको गले से लगाते चलो .. जिसका न कोई संगी साथी ईश्वर है रखवाला जो निर्धन है जो निर्बल है वह है प्रभू का प्यारा प्यार के मोती लुटाते चलो, प्रेम की गंगा आशा टूटी ममता रूठी छूट गया है किनारा बंद करो मत द्वार दया का दे दो कुछ तो सहारा दीप दया का जलाते चलो, प्रेम की गंगा छाया है छाओं और अंधेरा भटक गैइ हैं दिशाएं मानव बन बैठा है दानव किसको व्यथा सुनाएं धरती को स्वर्ग बनाते चलो, प्रेम की गंगा

अल्लाह तेरो नाम अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान सबको सन्मति दे भगवान अल्लाह तेरो नाम ... माँगों का सिन्दूर ना छूटे माँगों का सिन्दूर ना छूटे माँ बहनो की आस ना टूटे माँ बहनो की आस ना टूटे देह बिना, दाता, देह बिना भटके ना प्राण सबको सन्मति दे भगवान अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम, ओ सारे जग के रखवाले ओ सारे जग के रखवाले निर्बल को बल देने वाले निर्बल को बल देने वाले बलवानो को, ओ, बलवानो को देदे ज्ञान सबको सन्मति दे भगवान अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम अल्लाह तेरो नाम

जैसे सूरज की गर्मी जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर कि छाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जबसे शरण तेरी आया, मेरे राम भटका हुआ मेरा मन था कोई मिल ना रहा था सहारा लहरों से लड़ती हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा, मिल ना रहा हो किनारा उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो किसी ने किनारा दिखाया ऐसा ही सुख ... शीतल बने आग चंदन के जैसी राघव कृपा हो जो तेरी उजियाली पूनम की हो जाएं रातें जो थीं अमावस अंधेरी, जो थीं अमावस अंधेरी युग युग से प्यासी मरुभूमि ने जैसे सावन का संदेस पाया ऐसा ही सुख ... जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो उस पर कदम मैं बढ़ाऊं फूलों में खारों में, पतझड़ बहारों में मैं न कभी डगमगाऊं, मैं न कभी डगमगाऊं पानी के प्यासे को तक़दीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया ऐसा ही सुख ...

मन तड़पत हरि दरसन मन तड़पत हरि दरसन को आज मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज आ, विनती करत, हूँ, रखियो लाज, मन तड़पत... तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी हमरी ओर नज़र कब होगी सुन मोरे व्याकुल मन की बात, तड़पत हरी दरसन... बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ दीजो दान हरी गुन गाऊँ सब गुनी जन पे तुम्हारा राज, तड़पत हरी... मुरली मनोहर आस न तोड़ो दुख भंजन मोरे साथ न छोड़ो मोहे दरसन भिक्षा दे दो आज दे दो आज, ...

न मैं धन चाहूँ न मैं धन चाहूँ, न रतन चाहूँ तेरे चरणों की धूल मिल जाये तो मैं तर जाऊँ, हाँ मैं तर जाऊँ हे राम तर जाऊँ... मोह मन मोहे, लोभ ललचाये कैसे कैसे ये नाग लहराये इससे पहले कि मन उधर जाये मैं तो मर जाऊँ, हाँ मैं मर जाऊँ हे राम मर जाऊँ थम गया पानी, जम गयी कायी बहती नदिया ही साफ़ कहलायी मेरे दिल ने ही जाल फैलाये अब किधर जाऊँ, मैं किधर जाऊँ - २ अब किधर जाऊँ, मैं किधर जाऊँ... लाये क्या थे जो लेके जाना है नेक दिल ही तेरा खज़ाना है शाम होते ही पंछी आ जाये अब तो घर जाऊँ अपने घर जाऊँ अब तो घर जाऊँ अपने घर जाऊँ...

रघुपति राघव रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम सीता राम सीता राम भज प्यारे तू सीता राम रघुपति ... ईश्वर अल्लाह तेरे नाम सबको सन्मति दे भगवान रघुपति ... रात को निंदिया दिन तो काम कभी भजोगे प्रभु का नाम करते रहिये अपने काम लेते रहिये हरि का नाम रघुपति ...

तोरा मन दर्पण कहलाये तोरा मन दर्पण कहलाये - २ भले बुरे सारे कर्मों को, देखे और दिखाये तोरा मन दर्पण कहलाये - २ मन ही देवता, मन ही ईश्वर, मन से बड़ा न कोय मन उजियारा जब जब फैले, जग उजियारा होय इस उजले दर्पण पे प्राणी, धूल न जमने पाये तोरा मन दर्पण कहलाये - २ सुख की कलियाँ, दुख के कांटे, मन सबका आधार मन से कोई बात छुपे ना, मन के नैन हज़ार जग से चाहे भाग लो कोई, मन से भाग न पाये तोरा मन दर्पण कहलाये - २

वैष्णव जन तो वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे पर दुख्खे उपकार करे तोये मन अभिमान ना आणे रे वैष्णव जन तो तेने कहिये जे ... सकळ लोक मान सहुने वंदे नींदा न करे केनी रे वाच काछ मन निश्चळ राखे धन धन जननी तेनी रे वैष्णव जन तो तेने कहिये जे ... सम दृष्टी ने तृष्णा त्यागी पर स्त्री जेने मात रे जिह्वा थकी असत्य ना बोले पर धन नव झाली हाथ रे वैष्णव जन तो तेने कहिये जे ... मोह माया व्यापे नही जेने द्रिढ़ वैराग्य जेना मन मान रे राम नाम सुन ताळी लागी सकळ तिरथ तेना तन मान रे वैष्णव जन तो तेने कहिये जे ... वण लोभी ने कपट- रहित छे काम क्रोध निवार्या रे भणे नरसैय्यो तेनुन दर्शन कर्ता कुळ एकोतेर तारया रे वैष्णव जन तो तेने कहिये जे ...

shree shree@yahoo.com